निजी स्कूलों की मनमानी और शासन प्रशासन की चुप्पी
निजी स्कूलों की मनमानी और शासन प्रशासन की चुप्पी एक गंभीर मुद्दा है, जिसका समाधान शासन प्रशासन की जिम्मेदारी है। खरसिया विकासखंड में निजी स्कूलों की फीस मनमानी तरीके से ली जा रही है, जिससे लोग परेशान हैं। हर निजी स्कूल की फीस अलग-अलग होती है, जो कानून के हिसाब से गलत है।
*फीस की अनियमितता*
निजी स्कूलों में फीस की अनियमितता एक बड़ा मुद्दा है। हर स्कूल में अलग-अलग फीस होने से पालकों पर आर्थिक बोझ पड़ता है और मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए अपने बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ाना मुश्किल हो जाता है। शासन प्रशासन को निजी स्कूलों पर अंकुश लगाना चाहिए और फीस की अनियमितता को रोकने के लिए कदम उठाने चाहिए।
*किताबों की अनियमितता*
निजी स्कूलों में हर साल किताबें बदलने की अनियमितता भी एक बड़ा मुद्दा है। इससे पालकों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ता है और यह एक प्रकार का भ्रष्टाचार है। शासन प्रशासन को निजी स्कूलों पर अंकुश लगाना चाहिए और किताबों की अनियमितता को रोकने के लिए कदम उठाने चाहिए। किताबों को रिसाइकल करने से भी पालकों को राहत मिल सकती है।
*शासन प्रशासन की जिम्मेदारी*
शासन प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह निजी स्कूलों पर अंकुश लगाए और फीस और किताबों की अनियमितता को रोकने के लिए कदम उठाए। शासन प्रशासन को निजी स्कूलों के लिए नियम और कानून बनाने चाहिए ताकि वे मनमानी न कर सकें।
*निष्कर्ष*
निजी स्कूलों की मनमानी और शासन प्रशासन की चुप्पी एक गंभीर मुद्दा है, जिसका समाधान शासन प्रशासन की जिम्मेदारी है। शासन प्रशासन को निजी स्कूलों पर अंकुश लगाना चाहिए और फीस और किताबों की अनियमितता को रोकने के लिए कदम उठाने चाहिए। इससे पालकों को राहत मिलेगी और मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए अपने बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ाना आसान हो जाएगा।
*जनता की मांग*
जनता मांग कर रही है कि शासन प्रशासन निजी स्कूलों पर अंकुश लगाए और फीस और किताबों की अनियमितता को रोकने के लिए कदम उठाए। जनता चाहती है कि शिक्षा सभी के लिए सुलभ और किफायती हो।
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